Thursday, January 15, 2009

किसका विश्वास करुँ?

किसका विश्वास करुँ?
तुम्हारा ?
मगर
तुम!!
तुम तो मेरे अपने हो...
अपनों पर अब
कौन
विश्वास करता है...
अपनों से ही तो
मानव डरता है.