कार का भर्राता हार्न
कटे सर की गुड़िया
लाठी टेक चलता लाचार बाप
टकटकी लगाये माँ की आँख
भाई की सूनी कलाई
माथे का सिन्दुर पौंछती शहीद की बेवा
अशिक्षित बाल मजदूर
दादी की थमती सांस
दवा की दुकान
लंगर में बंटता प्रसाद
दारु पिया बेसुध पति
माँ की नीलामी
देश की संसद
भट्टी में पिधलता लाल लोहा..
मैं मजबूर
खुद से दूर
चकनाचूर!!!
मेरी सोच
क्रूर-क्रूर-क्रूर!!!