सुन्दर ! बांधो न नाव इस ठांव बन्धुदेखेगा सारा गांव बन्धु। "निराला"
खूबसूरत चित्र, खूबसूरत अल्फ़ाज़।हम सबके अन्दर का बच्चा बचा रहे तो इन्सानियत बची रहेगी।
बहुत भावुक सी और कोमल सी रचना
हमें भी याद आती हि वह डगमगाती नाव
चूंकि आपने कागज के टुकड़े की नाव नहीं बनाई थी,बल्कि उसे नॉंव दिया था यानी एक नाम दिया था इसलिए वह डूब गया।
गहरे दिल को छूते भाव ,बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...मन मुग्ध कर लिया आपकी इस रचना ने...
कृपया शीर्षक मे नाँव को नाव से बदल दीजिये।धन्यवाद।
धन्यवाद श्री राजेश उत्साही जी धन्यवाद श्री RCMishra जीभूल सुधार कर दी है.
बहुत अच्छा खयाल>>>
बहुत खूब यादें ताज़ा कर दिया आपने तो
कृपया लिखना मत छोडि़ए, आपकी लेखनी हमें प्रेरणा देती हैं, कभी-कभी तो लगता है कि हमारी कोई बात आप कह रही हैं।मृत्युंजय
बहुत सुन्दर कविता,यहाँ भी पधारें :-अकेला कलम
खूबसूरत चित्र, खूबसूरत अल्फ़ाज़..!
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13 comments:
सुन्दर !
बांधो न नाव इस ठांव बन्धु
देखेगा सारा गांव बन्धु।
"निराला"
खूबसूरत चित्र, खूबसूरत अल्फ़ाज़।
हम सबके अन्दर का बच्चा बचा रहे तो इन्सानियत बची रहेगी।
बहुत भावुक सी और कोमल सी रचना
हमें भी याद आती हि वह डगमगाती नाव
चूंकि आपने कागज के टुकड़े की नाव नहीं बनाई थी,बल्कि उसे नॉंव दिया था यानी एक नाम दिया था इसलिए वह डूब गया।
गहरे दिल को छूते भाव ,बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...
मन मुग्ध कर लिया आपकी इस रचना ने...
कृपया शीर्षक मे नाँव को नाव से बदल दीजिये।
धन्यवाद।
धन्यवाद श्री राजेश उत्साही जी
धन्यवाद श्री RCMishra जी
भूल सुधार कर दी है.
बहुत अच्छा खयाल>>>
बहुत खूब
यादें ताज़ा कर दिया आपने तो
कृपया लिखना मत छोडि़ए, आपकी लेखनी हमें प्रेरणा देती हैं, कभी-कभी तो लगता है कि हमारी कोई बात आप कह रही हैं।
मृत्युंजय
बहुत सुन्दर कविता,
यहाँ भी पधारें :-
अकेला कलम
खूबसूरत चित्र, खूबसूरत अल्फ़ाज़..!
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