आखिर क्यूँ??
आखिर क्यूँ यह अहसास है
जब से उसने मुझे देखा
वो यहीं कहीं
मेरे आस पास है....
मैं जानती हूँ कि
वो मेरा हो नहीं सकता..
उसकी अपनी एक दुनिया है
जिसे वो खो नहीं सकता...
मगर फिर भी
न जाने क्यूँ...
आखिर क्यूँ यह अहसास है
जब से उसने मुझे देखा
वो यहीं कहीं
मेरे आस पास है....
Thursday, February 28, 2008
Tuesday, February 19, 2008
मेरी पनीली आँखें…
कभी कुछ ख्वाब पलते थे
मेरी इन पनीली आँखों में.
डूब कर वो उतरता था…
खो जाता था दूर…
कहीं बहुत गहरे..
मैं डर जाती..
वो हंस देता
मैं रो देती..
आँसूओं के संग संग
मानो वो भी निकल आता
मेरे आँसू पोंछता
प्यार से गाल थपथपाता
और कहता, ‘ऐ पगली’
एकाएक जाने कहाँ
खो गया वो…
किस मोड़ पर साथ मेरा
छोड़ गया वो…
तब से मेरी दुनिया
बंद है इस चारदिवारी में..
अब वो नहीं कहता
मगर सारी दुनिया मुझसे
कहती है, ‘ऐ पगली’
कोई मुझे इस
पागलखाने की कैद से आजाद करा दे..
फिर नहीं देखूँगी कोई ख्वाब..
यूँ भी रो रो कर
सुखा दिये हैं मैंने अपने आँसू
मेरी आँखें भी अब
पनीली न रहीं……
मेरी इन पनीली आँखों में.
डूब कर वो उतरता था…
खो जाता था दूर…
कहीं बहुत गहरे..
मैं डर जाती..
वो हंस देता
मैं रो देती..
आँसूओं के संग संग
मानो वो भी निकल आता
मेरे आँसू पोंछता
प्यार से गाल थपथपाता
और कहता, ‘ऐ पगली’
एकाएक जाने कहाँ
खो गया वो…
किस मोड़ पर साथ मेरा
छोड़ गया वो…
तब से मेरी दुनिया
बंद है इस चारदिवारी में..
अब वो नहीं कहता
मगर सारी दुनिया मुझसे
कहती है, ‘ऐ पगली’
कोई मुझे इस
पागलखाने की कैद से आजाद करा दे..
फिर नहीं देखूँगी कोई ख्वाब..
यूँ भी रो रो कर
सुखा दिये हैं मैंने अपने आँसू
मेरी आँखें भी अब
पनीली न रहीं……
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