Monday, May 26, 2008

खुदकुशी

जिन्दगी के खेल में
शतरंज की बिसात पर
यूँ भी
किसी को मात
किसी को शाह

फिर
क्या सोच कर
की
तुमने
खुदकुशी.

Friday, May 2, 2008

डर

सुबह सुबह
आँजुरी में अपने
चमकती धूप लिए
अँधेरी रात की गली के
मुहाने पर आकर
ठिठकी खड़ी है-
शायद...
मेरी आँखों की नमीं से
वो भी डरी है.