Monday, December 7, 2009

एक रिक्तता

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टूटा

जो यह

विश्वास का धागा..

फिर जुड़ेगा नहीं..

और

एक रिक्तता

सालती रहेगी जीवन भर....

तुम्हें भी

और

मुझे भी!!!

Tuesday, October 20, 2009

घी का दीपक..


इस दीपावली

एक घी का दीपक

छत की

उस मुंडेर पर भी रखा..

जहाँ आकर

तुम्हारी यादें

मुझसे मिला करती थी..

मेरे जीवन को

रोशन किया करती थी..

शायद दीपक की रोशनी

उन यादों को

भटकी राह दिखाये...

एक उम्मीद बाकी है अभी!!

Wednesday, September 23, 2009

तू

चमन से आती हवाओं में
तेरी छुअन का
अहसास है...

दूर रह कर भी
तू कितनी
पास है...

Thursday, January 15, 2009

किसका विश्वास करुँ?

किसका विश्वास करुँ?
तुम्हारा ?
मगर
तुम!!
तुम तो मेरे अपने हो...
अपनों पर अब
कौन
विश्वास करता है...
अपनों से ही तो
मानव डरता है.