-------/--------
टूटा
जो यह
विश्वास का धागा..
फिर जुड़ेगा नहीं..
और
एक रिक्तता
सालती रहेगी जीवन भर....
तुम्हें भी
और
मुझे भी!!!
Monday, December 7, 2009
Tuesday, October 20, 2009
घी का दीपक..
Wednesday, September 23, 2009
Thursday, January 15, 2009
किसका विश्वास करुँ?
किसका विश्वास करुँ?
तुम्हारा ?
मगर
तुम!!
तुम तो मेरे अपने हो...
अपनों पर अब
कौन
विश्वास करता है...
अपनों से ही तो
मानव डरता है.
तुम्हारा ?
मगर
तुम!!
तुम तो मेरे अपने हो...
अपनों पर अब
कौन
विश्वास करता है...
अपनों से ही तो
मानव डरता है.
Subscribe to:
Posts (Atom)