
इस दीपावली
एक घी का दीपक
छत की
उस मुंडेर पर भी रखा..
जहाँ आकर
तुम्हारी यादें
मुझसे मिला करती थी..
मेरे जीवन को
रोशन किया करती थी..
शायद दीपक की रोशनी
उन यादों को
भटकी राह दिखाये...
एक उम्मीद बाकी है अभी!!
एक घी का दीपक
छत की
उस मुंडेर पर भी रखा..
जहाँ आकर
तुम्हारी यादें
मुझसे मिला करती थी..
मेरे जीवन को
रोशन किया करती थी..
शायद दीपक की रोशनी
उन यादों को
भटकी राह दिखाये...
एक उम्मीद बाकी है अभी!!
10 comments:
क्या खूब रोशन किया है यह दीपक..यादों को भटकी राह दिखाने. वाह!!
दिवाली मुबारक!!
सुंदर अभिव्यक्ति....सुंदर भाव...धन्यवाद
दीपक की रोशनी और यादों का सम्बन्ध तो सदा से है ।
शेष रहे आशा की किरणें सपनों का आकाश।
घी के दीपक में आकर्षण आता रहे प्रकाश।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
एक उम्मीद बाकी है अभी,
हमें भी, आपको दीवाली की शुभकामनाएँ
एक उम्मीद बाकी है अभी!!
एक ही क्यों सभी उमीदें जिन्दा रखिये शुभकामनायें
उम्मीद का होना ही कई लाख् दीपको को एक साथ जलाती हुई कविता.......अतिसुन्दर!
bahut hi sundar..aur pavitra shabdon ki abhivyakti..
सुंदर कविता, उतनी ही महकती हुयी जितना घी का दीपक महकता है.
बहुत दिन बाद एक सुंदर कविता पढ़ने को मिली.. बधाई स्वीकारें।
छत की
उस मुंडेर पर भी रखा..
.......
उन यादों को
भटकी राह दिखाये...
.......
एक उम्मीद बाकी है अभी!!
एक घी का दीपक सदैव सम्भालकर रखियेगा।
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