आखिर क्यूँ??
आखिर क्यूँ यह अहसास है
जब से उसने मुझे देखा
वो यहीं कहीं
मेरे आस पास है....
मैं जानती हूँ कि
वो मेरा हो नहीं सकता..
उसकी अपनी एक दुनिया है
जिसे वो खो नहीं सकता...
मगर फिर भी
न जाने क्यूँ...
आखिर क्यूँ यह अहसास है
जब से उसने मुझे देखा
वो यहीं कहीं
मेरे आस पास है....
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5 comments:
यही एहसास मन में एक पुलक जगाता है उम्मीद बनाता है सारी सच्चाई जानते होने के बाद भी!!
ऐसा ही कुछ लिखा था मैनें भी
जरा यह पढ़ें
तुम ही तो हो
मगर फिर भी
न जाने क्यूँ...
आखिर क्यूँ
.... अतीव सुन्दर।
आपके विचार यहां आमन्त्रित हैं...
http://saptashva-rath.blogspot.com
जाने क्यूँ...... फिर भी... आप, मै....हम सभी...जाने क्यूँ..
यही अहसास दिलों को दिलों से जोड़ता है. धन्याबाद इस सुंदर प्रस्तुति के लिए
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