Wednesday, July 16, 2008

हाय!! मेरा भारत महान!

एक दूसरे को पीछे खींचते...
एक दूसरे को नीचे दिखाते...


दूसरों को दुखी देख
खुशी मनाते लोग...
नज़र से बचने चुपचाप
खुशी मनाते लोग...


अपने से ज्यादा
दूसरों मे तल्लीन..
सामने वाले की
सफलता पर गमगीन..


आपस में परेशान
कुंठा में
धरती को बनाते पीकदान...


एक आँख बँद किये
सोने में भी नाहक हैरान..
दोनों आँखों का बंद होना
याने
अब ठौर है शमशान...


हाय!! मेरा भारत महान!

1 comment:

सचिन्द्र राव said...

अच्छा लिखा। पर इसका शीर्षक होना था ' मेरा भारत परेशान'