वो कुछ बोलती नहीं है.
वो रोती नहीं है.
वो हरदम एकटक बस सामने वाले की
आँख में आँख डाले ताका करती है..
जाने क्या खोजती है
सामने वाले की आँख में वो.
उसकी तलाश का कोतुहल
उसकी आँखों में दिखता है..
एक अजब उदासी,
एक अजब परेशानी,
एक अजब ज़ज्ब तूफान
और एक अनजान तलाश.
चेहरे के भाव-
बस्स इन सब का
मिला जुला सना हुआ रुप.
एक कोण से सुन्दर ममत्व से परिपूर्ण,
एक कोण से विकृत
और एक अन्य से भयावह.
न कुछ बोलना,
न रोना,
न मुस्कराना.
जाने क्या तलाशती है..
सुना है अपना सुनहरा भविष्य ढ़ूढ़ती है.
वो सुनहरा भविष्य-
जिसके सपने उसने ६२ साल पहले देखे थे,
वो सपने जिसे उसी के अंशो ने
छिन्न भिन्न कर दिया.
एक उम्मीद जो कभी नहीं जाती-
वही उसकी आँखो में है
जिनसे वो दूसरों की आँखों में
अपने सपने तलाशती है शायद.
एक अंतहीन तलाश
और
अपनों की मार से
जरजर होती काया!
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2 comments:
भावपूर्ण !!
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
एक उम्मीद जो कभी नहीं जाती-
वही उसकी आँखो में है
जिनसे वो दूसरों की आँखों में
अपने सपने तलाशती है शायद
अच्छा लिखा है आपने।
लेकिन साथ में ये कहना चाहूंगा
सपने होंगे तो पूरा करने का जज्बा
पैदा हो ही जाएगा
और ज्यादा दूर नहीं जब कहेंगे हम
लो हुआ सपना पूरा
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