
इस दीपावली
एक घी का दीपक
छत की
उस मुंडेर पर भी रखा..
जहाँ आकर
तुम्हारी यादें
मुझसे मिला करती थी..
मेरे जीवन को
रोशन किया करती थी..
शायद दीपक की रोशनी
उन यादों को
भटकी राह दिखाये...
एक उम्मीद बाकी है अभी!!
एक घी का दीपक
छत की
उस मुंडेर पर भी रखा..
जहाँ आकर
तुम्हारी यादें
मुझसे मिला करती थी..
मेरे जीवन को
रोशन किया करती थी..
शायद दीपक की रोशनी
उन यादों को
भटकी राह दिखाये...
एक उम्मीद बाकी है अभी!!