अब मुझे मौत से डर नहीं लगता!! हा हा हा ये हुई ना बहदुर शेरनी वाली बात ! मौत से कैसा डर ? जो अटल सत्य है उससे क्या डरना!ले जायेगी. ले जाए. इसे तो हर दिन हर पल याद रखना चाहिए पुण्य करवाए ना करवाए. पाप करने से बचायेगी.इश्वर की उपस्थिति की कल्पना भी शायद इसी लिए की गई है,बड़ी के रास्तों से बचाने के लिए. है ना. तुम तो साध्वी हो,एक सन्यासिनी स्वयं ज्ञानी भी जरूर होंगी,तुम्हे मैं क्या ज्ञान दूँ?
3 comments:
आपकी कविता नि:संदेह भावपूर्ण है!
सब कुछ जाना पहचाना....
फिर तो स्वाभाविक है 'मौत से डर न लगना'
साधुवाद।
एक नया साहस, एक नया अंदाज.
अब तो सब कुछ देखा
सब कुछ जाना पहचाना सा है.
अब मुझे मौत से डर नहीं लगता!!
हा हा हा
ये हुई ना बहदुर शेरनी वाली बात !
मौत से कैसा डर ? जो अटल सत्य है उससे क्या डरना!ले जायेगी. ले जाए.
इसे तो हर दिन हर पल याद रखना चाहिए पुण्य करवाए ना करवाए. पाप करने से बचायेगी.इश्वर की उपस्थिति की कल्पना भी शायद इसी लिए की गई है,बड़ी के रास्तों से बचाने के लिए. है ना. तुम तो साध्वी हो,एक सन्यासिनी स्वयं ज्ञानी भी जरूर होंगी,तुम्हे मैं क्या ज्ञान दूँ?
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