ओ अनुरागीअर्धचन्द्र की मधुर ज्योत्सना से लिपटे तुमक्या निहारतेसरिता जल में कुछ बिम्बों को ?मेरा बिम्बअगर चीन्होतो मुझे बतानाशायदयाद मुझे आ जायेमेरा परिचय
कई बार यही प्रश्न स्वयम् से मैंने भी किया है।
यह प्रश्न हमारे मन में भी उठता है अक्सर और इसी के जवाब की तलाश ही ज़िंदगी है शायद!!शुभकामनाएं!!
यह प्रश्न करता कौन है... जरा तलाशिये।
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4 comments:
ओ अनुरागी
अर्धचन्द्र की मधुर ज्योत्सना से लिपटे तुम
क्या निहारते
सरिता जल में कुछ बिम्बों को ?
मेरा बिम्ब
अगर चीन्हो
तो मुझे बताना
शायद
याद मुझे आ जाये
मेरा परिचय
कई बार यही प्रश्न स्वयम् से मैंने भी किया है।
यह प्रश्न हमारे मन में भी उठता है अक्सर और इसी के जवाब की तलाश ही ज़िंदगी है शायद!!
शुभकामनाएं!!
यह प्रश्न करता कौन है... जरा तलाशिये।
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