Thursday, June 14, 2007
नज़रिया सब कुछ है
जिन्दगी को बहुत करीब से देखा है. कभी गाँव की पगडन्डियों पर धूप में नंगे पांव चलते और कभी महानगरों की जगमगाती सुंदर किन्तु नागिन सी बल खाती सड़कों पर सरपट भागते. कितनी सुखद अनुभूतियाँ और कितने विशाद के क्षण. फिर सबसे दूर हिमालय की कंदराओं में एक नई 'मैं' की तलाश. कब तक भाग सकती थी यथार्थ से. फिर लौटी तो पाया सब कुछ वैसा ही है, बदला है तो उन्हें देखने का मेरा नज़रिया. बस, एक नज़रिया बदल जाने से ही सब कुछ बदल गया. वही सड़कें, वही लोग, वही घूरती आँखें मगर अब वो मुझे नहीं चुभती. मेरा नज़रिया बदल गया है उन्हें देखने का और कुछ भी नहीं. पिछले चार माह से अपनी सोच को और विस्तार दिया. अन्तरजाल पर आई. नये मित्र मिले. नई बातें सुनने और पढ़ने को मिली. हिन्दी के ब्लॉगस दिखे. लगभग सभी को पढ़ा, मनन किया और कुछ को तो अभी भी समझने की कोशिश अनवरत जारी है. लोगों के विचारों को देख रही हूँ, परख रही हूँ. आज इसी दिशा में एक कदम बढ़ाया है कि आपसे संवाद स्थापित हो सके.
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9 comments:
नाम की खोज में, मैं भटकता रहा
कौन हूँ मैं, ये मैं भी नहीं जानता
आईने का कोई अक्द दिखलायेगा
असलियत क्या मेरी मैं नहीं मानता
देखता मैं रहा , मेरी नजरें वही
जाविये किन्तु पल पल बदलते रहे
हम जो समझे कि हल प्रश्न के मिल गये
बिम्ब थे जो सदा हमको छलते रहे
स्वागत है आपका!
आपका स्वागत है साधवी जी. आशा है आप कुछ ज्ञान देंगी हम अज्ञानियों को. इन्तजार है.
अब क्या भटकना जब आपने हिन्दी चिट्ठाजगत में कदम रख लिया।
स्वागतम् !!
राकेश जी, मिश्रा जी, समीर जी, उन्मुक्त जी एवं अनुनाद जी, अनूप जी.
-आप लोगों का बहुत धन्यवाद. आप सब मेरी प्रार्थना में हैं.
साधवी
आगे भी जाने न तू
पीछे भी जाने न तू
जो भी है
यही एक पल है
रूह जिनमें पिरो दिया तुमने
वो खिलौने हैं टूट जायेंगे।
तुमने खुद आपको नहीं बूझा
और ये रिश्ते छूट जायेंगे।
आपका ब्लाग थोड़ी देर से पढ़ा.. मगर अब तो पढ़ते रहेंगे। स्वागत आपका।
http://suvarnveethika.blogspot.com पर कभी निगाह डालियेगा।
स्वागतम्
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