बहुत सही सवाल उठाया है आपने। अधिकतर लोग तय न कर पाने के कारण ही फ़ुटबॉल बने रहने को अभिशप्त रहते हैं। बहुत ख़ूब!
तय करो किस ओर होइस ओर हो, उस ओर हो.बातों को मनवाना हो तोतर्कों में कुछ जोर हो.या फिरbahut sunder
तय ना कर पाना ही एक कमजोरी है !सही कहा
ऐ भाई! यहाँ इतना अँधेरा क्यों है?
bahut sundar likha hai aapne . acchi kavita k liye badai aap ko.
तय करो किस ओर होइस ओर हो, उस ओर हो.jeevan mein sahi drishtikon ho tabhi manzil mil pati hai.
bahut badhiyaa!!
सही कहा.. "तय करो किस और हो?"
"Kuchh aisa karo ki sadiyontak uskaa shor ho"....kaash maibhee aisa kuchh kar paun!!Bohot khoob!
मैं ना इस और और ना उस ओर,बस एक तटस्थ दर्शक हूँ -बड़ी देर से कर दी मेहरबान आते आते !
बहुत गहरी रचना, वाह!! बधाई.
dham dhamaa dham
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12 comments:
बहुत सही सवाल उठाया है आपने। अधिकतर लोग तय न कर पाने के कारण ही फ़ुटबॉल बने रहने को
अभिशप्त रहते हैं। बहुत ख़ूब!
तय करो किस ओर हो
इस ओर हो, उस ओर हो.
बातों को मनवाना हो तो
तर्कों में कुछ जोर हो.
या फिर
bahut sunder
तय ना कर पाना ही एक कमजोरी है !सही कहा
ऐ भाई! यहाँ इतना अँधेरा क्यों है?
bahut sundar likha hai aapne . acchi kavita k liye badai aap ko.
तय करो किस ओर हो
इस ओर हो, उस ओर हो.
jeevan mein sahi drishtikon ho tabhi manzil mil pati hai.
bahut badhiyaa!!
सही कहा.. "तय करो किस और हो?"
"Kuchh aisa karo ki sadiyontak uskaa shor ho"....kaash maibhee aisa kuchh kar paun!!Bohot khoob!
मैं ना इस और और ना उस ओर,बस एक तटस्थ दर्शक हूँ -बड़ी देर से कर दी मेहरबान आते आते !
बहुत गहरी रचना, वाह!! बधाई.
dham dhamaa dham
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