Sunday, September 28, 2008

तय करो किस ओर हो

तय करो किस ओर हो
इस ओर हो, उस ओर हो.

बातों को मनवाना हो तो
तर्कों में कुछ जोर हो.
या फिर
कुछ ऐसा कर जाओ कि
सदियों तक उसका शोर हो.

तय करो किस ओर हो
इस ओर हो, उस ओर हो.

12 comments:

Dr. Amar Jyoti said...

बहुत सही सवाल उठाया है आपने। अधिकतर लोग तय न कर पाने के कारण ही फ़ुटबॉल बने रहने को
अभिशप्त रहते हैं। बहुत ख़ूब!

MANVINDER BHIMBER said...

तय करो किस ओर हो
इस ओर हो, उस ओर हो.

बातों को मनवाना हो तो
तर्कों में कुछ जोर हो.
या फिर
bahut sunder

दीपक said...

तय ना कर पाना ही एक कमजोरी है !सही कहा

Ghost Buster said...

ऐ भाई! यहाँ इतना अँधेरा क्यों है?

Unknown said...

bahut sundar likha hai aapne . acchi kavita k liye badai aap ko.

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

तय करो किस ओर हो
इस ओर हो, उस ओर हो.

jeevan mein sahi drishtikon ho tabhi manzil mil pati hai.

पारुल "पुखराज" said...

bahut badhiyaa!!

रंजन (Ranjan) said...

सही कहा.. "तय करो किस और हो?"

shama said...

"Kuchh aisa karo ki sadiyontak uskaa shor ho"....kaash maibhee aisa kuchh kar paun!!Bohot khoob!

Arvind Mishra said...

मैं ना इस और और ना उस ओर,बस एक तटस्थ दर्शक हूँ -बड़ी देर से कर दी मेहरबान आते आते !

Udan Tashtari said...

बहुत गहरी रचना, वाह!! बधाई.

E-Guru Rajeev said...

dham dhamaa dham