बेखौफ
वैभवशाली
किन्तु
गंभीर और मौन...
तन पर
अरमानी का मँहगा सूट
और
उनसे उठती
फ्रांसीसी परफ्यूम की
उत्तेजक महक
की अनकही आवाज!!
सबने सुनी
सबने गुनी
सब साथ हो लिए....
घबरा हुआ वो
आँख में आसूं लिए
बदबूदार
चिथड़ों में लिपटा
भूख से परेशान
दो रोटी के लिए
चीख चीख कर
आवाज लगता रहा..
न जाने क्यूँ!!
उसकी आवाज
किसी भी कान ने
न सुनी..
या कि सुन कर भी
अनसुनी कर दी!!
वो चिल्लाते चिल्लाते
मौन हो गया..
चिर मौन!!
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6 comments:
jeevan ki esthition ki prakhar abhivyakti.
http://www.ashokvichar.blogspot.com
आकर्षण के तत्व अक्सर संवेदनाओं पर हावी हो जाते हैं . एक बेहतर इन्सान हमेशा सजग रहता है. होश और तथाता में.
किसी ब्लॉग पर पढा था की कहानी पढ़ कर रोई /मैंने सोचा ऐसे भावुक कवि को देखें तो सही /बहुत ह्रदय को झंकृत करती कविता पढने को मिली नहीं /इसके बाद लिखा क्यों नहीं
आज अनायास ही आपके ब्लाग पर आना हुआ लेकिन यहां आकर देखा तो दिल खुश हो गया बहुत ही अच्छा लिखते हैं आप शुभकामनाएं अब तो आवागमन होता रहेगा
घबरा हुआ वो
आँख में आसूं लिए
बदबूदार
चिथड़ों में लिपटा
भूख से परेशान
दो रोटी के लिए
चीख चीख कर
आवाज लगता रहा..
न जाने क्यूँ!!
कितना दर्द है हरएक शब्द में
चिथड़ों में लिपटा
भूख से परेशान
दो रोटी के लिए
चीख चीख कर
आवाज लगता रहा.
सजगता सवेदना
सारा दर्द अपने मे समेटे हुये
शब्द
बहुत बडिया
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