ओह! तभी किसी शायर ने लिखा है- तुम्हे जिंदगी के उजाले मुबारक अँधेरे मुझे आज रास आ गये हैं' हाँ नीव में गहन अंधकार होता है,तभी तो उजाले अपनी पूर्ण क्षमता के साथ संसार को जगमगाते हैं,जीवन गतिशील हो पाता है.अन्धकार ना होता तो आपके 'उजाले' कैसे अपने आप को 'उजागर' करते? चंद शब्द ...गहरी बात पर...नई नही 'वाह खूब' कैसे कह दूँ?
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। हमेशा आपकी मेल देख कर समझती कि शायद कोई सच मे साध्वी है मुझे साधू सन्तों से बहुत भय लगता है मगर आज देख ही लिया। बहुत खूब। शुभकामनायें
14 comments:
सुंदर भावाव्यक्ति बधाई
बहुत बढ़िया ।
सुन्दर अभिव्यक्ति..!
गहरी बात.
सुन्दर बात!
नीव का वही अधियारा गगनचुम्बी भवनों के प्रकाश स्तम्भ को संभाले हुए है :)
ओह! तभी किसी शायर ने लिखा है- तुम्हे जिंदगी के उजाले मुबारक अँधेरे मुझे आज रास आ गये हैं'
हाँ नीव में गहन अंधकार होता है,तभी तो उजाले अपनी पूर्ण क्षमता के साथ संसार को जगमगाते हैं,जीवन गतिशील हो पाता है.अन्धकार ना होता तो आपके 'उजाले' कैसे अपने आप को 'उजागर' करते?
चंद शब्द ...गहरी बात पर...नई नही
'वाह खूब' कैसे कह दूँ?
अँधेरे के बिना उजाले की कोई कीमत नहीं है |
कडुवा सच्।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। हमेशा आपकी मेल देख कर समझती कि शायद कोई सच मे साध्वी है मुझे साधू सन्तों से बहुत भय लगता है मगर आज देख ही लिया। बहुत खूब। शुभकामनायें
यथार्थ बात कही आपने.
रामराम.
वाह.....क्या बात कह दी आपने....
बहुत ही सही...
बहुत सुन्दर अभिकव्यक्ति
वाह!
वाकई नींव अन्धेरे में ही होता है
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