भ्रूणहत्या की कविता के बहाने आपने परिवार की भावना को प्रसार और विश्वास प्रदान किया… मुझे मेरा परिवार दे दो!! मुझे बहुत अच्छा लगा । नारी के पास परिवार है तो उसे स्वतः ही बराबरी का दर्ज़ा और सम्मान भी प्राप्त है । ऐसी रचनाओं का अत्यधिक महत्व है । आभार ! - राजेन्द्र स्वर्णकार शस्वरं
10 comments:
गंभीर रचना!
जीने का अधिकार दे दो!!
मुझे मेरा परिवार दे दो!!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। शुभकामनायें
आपने तो बहुत अच्छे भाव प्रकट किये...
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"पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.
bahut sundar...
bahut hi maarmik rachna......
जायज़ हस्तक्षेप
Rachna gehra prabhav chodti hai.shubkamnayen.
साधवीजी ,
( यही नाम है न आपका ? )
नमस्कार !
भ्रूणहत्या की कविता के बहाने आपने परिवार की भावना को प्रसार और विश्वास प्रदान किया…
मुझे मेरा परिवार दे दो!!
मुझे बहुत अच्छा लगा ।
नारी के पास परिवार है तो उसे स्वतः ही बराबरी का दर्ज़ा और सम्मान भी प्राप्त है ।
ऐसी रचनाओं का अत्यधिक महत्व है ।
आभार !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
पहले पड नही पाय था मुझे मेरा परिवार दे दो
पहले पड नही पाय था मुझे मेरा परिवार दे दो
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